शुभं करोति कल्याणं कलनग्यं धनसम्पदा। शत्रु बुद्धिनविनाशाय दीपज्योतिरनस्तुते ।।

Sunday, January 6, 2019

Effects of Natural Love [Part-1]


                  प्राकृतिक प्रेम का प्रभाव [भाग -१ ]


प्रेम  एक अनुभव का नाम है जो प्रत्येक व्यक्ति अनुभव करता है।  जो हर किसी के जीवन में आता जाता रहता है। यदि हम इसके प्रकार को देखें तो यह मुख्य दो प्रकार की होती हैं।  एक कुदरती प्रेम और दूसरा स्वार्थी प्रेम कुदरती प्रेम को कुदरत तय करता है कि आपको प्रेम किससे होगी कब होगी कैसे होगी दूसरी और स्वार्थी प्रेम को मनुष्य अपने स्वार्थ  के मुताबिक किसी से प्रेम करता है।



कुदरती  प्रेम मनुष्य के जीवन में कभी किसी भी स्थिति में आ सकती हैं। हमें यह जानना जरूरी है कि हमारे जीवन में यह क्या प्रभाव डालती हैं इसका क्या दुष्प्रभाव होता है। जब हमारे जीवन में यह होती है तो हमें उस वक्त क्या करना चाहिए जिससे हमारा नुकसान भी ना हो और हम प्रेम का भरपूर आनंद ले सकें इसके परिणाम को जानने के लिए मनुष्य जीवन जीवन को चार चरणों में विभाजित करके देखते हैं।



१ / बचपना :-कुदरती प्रेम जरूरी नहीं कि वह आपके जवानी मैं हो यह आपके बचपन के जीवन में भी दस्तक दे देती है। और जब या हमारे बचपन के जीवन में आ जाए तो इसका क्या प्रभाव होगा क्या दुष्प्रभाव होगा उस समय हमें क्या करना सही है। आइए जानने की कोशिश करते हैं।



प्रभाव :- बचपन का जीवन एक निर्दोष पूर्ण जीवन होता है।  इस समय हमारा दिमाग बिल्कुल खाली होता है।  इस समय यदि कुदरती प्रेम हो जाए तो फिर इसका प्रभाव हमारे सारे जीवन पर पड़ता है।  क्योंकि कुदरती प्रेम बहुत ही प्रभावशाली होता है। जो हमारे जीवन की दशा और दिशा बदल देते हैं जैसे मीराबाई इनको बचपन में ही प्रेम हुआ था जिससे इनका जीवन का दशा और दिशा पूरा ही बदल गया यह बात हम आप क्या सारा संसार जानता है।  जिसे हमारा समाज ने एक अलौकिक प्रेम का नाम दिया है। ऐसे तो कुदरती प्रेम एक अलौकिक प्रेम ही होता है जो जीवन के किसी भी पड़ाव में हो सकता है यह जीवन की उमर को नहीं देखती है।



दुष्प्रभाव:- जब इस प्रकार का प्रेम हमारे जीवन में होता है तो हम मनुष्य जीवन की मुख्यधारा से कट जाते हैं। और मुख्यधारा से कटने के कारण हमारे ऊपर के प्रकार के लांछन लगना शुरू हो जाता है।  समाज की ओर से हमें प्रताड़ित किए जाने लगता है।  फिर भी हम इस प्रेम के प्रभाव में रहने के कारण हमारे ऊपर न  लांछन का  प्रभाव पड़ता है।  और ना ही हमें प्रताड़ित होने का भय होता है।



हमें क्या करना चाहिए:-  जब कुदरती प्रेम हमारे जीवन में आ जाए तो हमें जीवन को संतुलित करके आगे बढ़ना चाहिए।  ताकि हम प्रेम का भरपूर आनंद ले सकें और मुख्यधारा से भी ना कटे।  यदि आप सोचते हैं कि मैं प्रेम ही ना करूं तो ऐसा हो नहीं सकता है।  क्योंकि कुदरत के प्रभाव को काटने की सत्ता आपके पास है ही नहीं।  यह कुदरत पर निर्भर करता है कि यह  प्रेम आपके जीवन में कब तक रहेगा।  यह किसी के जीवन में जीवन भर या कुछ समय तक या कुछ पल के लिए ही रहता है। किंतु मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि कुदरती प्रेम में मिलन नहीं होता है। आप कोई भी प्रेम ग्रंथ उठा कर देख सकते हैं और मिलन ना होने के कारण यह अत्यंत प्रभावशाली होता है। जिसके कारण आकर्षण का प्रभाव बना रहता है।


                                                                   जय वासुदेव श्री कृष्ण

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