शुभं करोति कल्याणं कलनग्यं धनसम्पदा। शत्रु बुद्धिनविनाशाय दीपज्योतिरनस्तुते ।।

Sunday, January 20, 2019

Effects of Natural Love [Part-2]

                 प्राकृतिक प्रेम का प्रभाव [भाग -२  ]


आज जिस युग में हम लोग जी रहे हैं उस युग के बच्चे 12 वर्ष की उम्र में जवान  हो जाते हैं। 12 से 25 वर्ष तक के उम्र में बच्चे या तो बहुत गंभीर होते हैं या फिर बहुत चंचल होते हैं।  यह हमारे जीवन का वह समय है जहां हमारा जीवन बनता और बिगड़ता है। यदि इस समय कुदरती प्रेम दस्तक दे दे तो फिर अपने जीवन को सही दिशा दे पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह वह समय है जब हम अपने जीवन को संवारने में लगे रहते हैं और यदि किसी से प्रेम हो जाए तो हमारा सारा ध्यान उस और चला जाता है जिसके कारण हम अपने जीवन में कुछ करने से चूक  जाते हैं अंत में वह हाल होता है कि हम ना ऑफिसर के काबिल रहते हैं और ना ही मजदूरी करने के लायक।  रही बात प्रेम की तो वह सावन के झूलों की तरह होता है जो एक निश्चित समय के लिए आता है और फिर चला जाता है पर इसका छाप हमारे पूरे जीवन पर पड़ता है।



प्रभाव:- जब जवानी में हमें किसी से प्रेम हो जाए तो यह हमारे ऊपर दो तरफा वार करता है। एक वह जिसे हम अपने दिल से लगा लेते हैं जिसके आगे दुनिया की हर चीज़ फीकी हो जाती है। और हम यही सोचते हैं कि मेरा सारा जीवन यूं ही चलता रहेगा पर ऐसा होता नहीं है दूसरी ओर हमारा सेक्स हमारे ऊपर इस कदर हावी होता है कि भूतनी भी हमें परी दिखाई देती हैं वह सेक्सी ही हैं जो हमें रंग बिरंगा सपना दिखाता है वास्तविक दुनिया से निकल  कर हम कल्पना के दुनिया में चले जाते हैं।


इस समय हमारा जीवन का दशा-दिशा कुछ और होता है। हम बड़े उमंग और उत्साह में होते हैं और यदि प्रेम मिल जाए तो हमारा उमंग और उत्साह सातवां आसमान पर पहुंच जाती है। जिसे हमारे जीवन को संवारने या कामयाबी की बुलंदी को छूने में लगाना चाहिए था। हम उस उमंग उत्साह को प्रेम में लगा देते हैं जिससे हमारे जीवन की महत्वपूर्ण समय प्रेम के चक्कर में हमारे हाथों से निकल जाती है


जवानी की उबाल के कारण हमारे ऊपर प्रेम बुरी तरह हावी रहता है जिसके आगे हमें ना कुछ दिखाई देती है ना कुछ समझ में आता है। लगता है कि सारा जीवन यूं ही रोशन रहेगा किंतु ऐसा होता ही नहीं है क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है हर एक वस्तु अपने निश्चित समय के उपरांत परिवर्तित हो जाती हैं। उसी तरह हमारी भावना भी एक निश्चित समय के अंतराल पर परिवर्तित हो जाती हैं किंतु यह प्रेम हमारे शरीर पर ना वार करके हमारी भावनाओं पर वार करता है जिसका छाप पूरे जीवन पर पड़ता है। जब भी हम कहीं में एकांत बैठते हैं तो हमें वह प्रेम की दो पल याद आते हैं और हम यही सोचते हैं कि काश वैसा ही हमारा सारा जीवन होता है। किंतु ऐसा होता नहीं फिर भी हम क्यों उस आग में अपने जीवन की अनमोल समय को झोंक  देते हैं। जिसके बदले में हमें कुछ प्राप्त नहीं होता और अंत में ठोकरें खाते फिरते हैं। इससे भला होता कि हम प्रेम ना करते हैं किंतु हम करें भी तो क्या कर सकते हैं कुदरती प्रेमी को कोई नकार नहीं सकता यह सत्य है जो हर मनुष्य के जीवन में एक बार आताअवश्य है।



दुष्प्रभाव:- इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि अंत में हमारे पास ना प्रेम होता है। और ना ही हम कुछ करने के लायक बचते  हैं क्योंकि जो उमंग उत्साह हमारे जीवन को संवारने में लगाना चाहिए था। वह उमंग उत्साह प्रेम में लगा दिए और अंत में प्रेम भी हमें छोड़ कर चला जाता है। जिसका दुष्प्रभाव हमें सारा जीवन भर झेलना  पड़ता है अर्थात हमने प्रेम के चक्कर में आकर पढ़ाई लिखाई कुछ इस तरह की कि हम ना ऑफिसर बन पाए और ना ही मजदूर बन पाए हैं वाह रे प्रेम बस अब नमक रोटी की तलाश में ठोकर खाते से फिरते  हैं कि दो वक्त की रोटी मिल जाए, तन ढकने का वस्त्र मिल जाए, सर ढकने का छत मिल जाए किंतु यह सब चीज इतनी आसानी से नहीं मिलती है यह सब चीज को पाने के लिए एक लंबे समय तक परिश्रम करना पड़ता है और जब हमें परिश्रम  करने का मौका मिला तब हम रंगरेलियां कर रहे थे ऐसी रंगरेलियां की कि हमें आज ठोकर खाना पड़ रहा है। वाह रे प्रेम अद्भुत है तेरी माया।



हमें क्या करना चाहिए:- कुदरती प्रेम जब हमारे जीवन में आती है तो यह बड़ा गहरा प्रभाव डालती है हम ना चाहते हुए भी इस के चक्कर में फस जाते हैं क्योंकि यह सीधा हमारे मनोदशा को प्रभावित करती है जिसके कारण हम आकर्षित हो जाते हैं। और अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय गंवा बैठते हैं तो हमें क्या करना चाहिए कि यह हम पर अपना प्रभाव डाले और जिससे हमारा महत्वपूर्ण समय बर्बाद ना हो तो हमें दोनों में तालमेल बिठा कर आगे बढ़ना चाहिए जिससे हम प्रेम का भरपूर आनंद ले सके और अपने कैरियर को भी कामयाबी की ऊंचाई तक पहुंचा पाए। क्योंकि हम या भली-भांति जानते हैं कि प्रेम सदा हमारे जीवन में नहीं रहेगा यह आज है तो कल चला जाएगा इस बात की गांठ बांधकर हमें सावधान हो जाना चाहिए


यदि हम कुदरती प्रेम से भागते हैं या अपना दामन छोडाते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि या कुदरत के द्वारा तय किया हुआ चक्रव्यूह है जिसे भेदने  का हमारे पास कोई तरीका नहीं है यदि हम इससे पीछे की ओर भागे हैं तो यह हमारे ऊपर और अधिक तेजी से वार करेगा और जब यह तेजी से वार करेगा तो जो बर्बाद होने में 2 साल लगती है वह 2 दिन में ही हो जाएगा इसलिए प्रेम का आनंद भी ले और अपना कैरियर को भी साथ साथ लेकर चले जिससे हमें आगे जाकर ठोकर ना खाना पड़े
                                                           अब अधेड़ की प्रेम कहानी हम आगे सुनायेंगे 
                                                                        जय वासुदेव श्री कृष्ण

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