शुभं करोति कल्याणं कलनग्यं धनसम्पदा। शत्रु बुद्धिनविनाशाय दीपज्योतिरनस्तुते ।।

Friday, April 24, 2020

April 24, 2020

The love

1=आज कहती हो कि हमें तुमसे मोहब्बत है कल कहोगी कि हमें किसी और से मोहब्बत है परसों कहोगीं  कि बस कर यार अब तो हम किसी और की जरूरत है।

2=आंखें बंद होती है तो तुम्हारा चेहरा नजर आता है आंखें खुला हो तो केवल अंधेरा नजर आता है जिंदगी इस प्रकार अन्धकार  में डूब गई कि अब और कोई सवेरा नजर नहीं आता है।


3=जिंदगी एक रंगीन सपना है आंख बंद होती है तो यह दुनिया हसीन दिखती है और जब आंख खुलती है तो नहीं कोई अपना है।


3=बध्य  हो पर बदनाम ना हो जिंदगी कहीं गुम नाम ना हो तुम्हारा नाम डर -डर  कर लेता हूं कि कहीं तुम बदनाम ना हो।


4=हीरा मोती को छोड़कर मैंने कंकड़ पत्थर को चुना जिंदगी जल जल कर दुआ हो गई ना बचा है अब जीवन का कोई कोना अपनों  और परायों  से क्या गिला करें अब तो जिंदगी भर है रोना अब किसी से क्या कहना मैंने अपना तकदीर स्वंय  ही है बुना। 

Friday, December 27, 2019

December 27, 2019

Effects of sex energy

                                  सेक्स ऊर्जा का प्रभाव 

Effects of sex energy


क्या एक लड़का लड़की को आकर्षित करता है या फिर एक लड़की लड़का को आकर्षित करता है या फिर कुछ और कारण है।  वास्तव में कोई भी एक दूसरे को आकर्षित नहीं कर सकता है हम आकर्षित नहीं होते हैं बल्कि हमारा सेक्स ऊर्जा   हमें बाध्य करती है एक दूसरे के प्रति जाने के लिए यह तथ्य ऊपरी भाव से देखें तो यह हमें मिथ्या जान पड़ती हैं।  हमें ऐसा लगता है कि एक लड़की लड़का को आकर्षित करती है या एक लड़का लड़की को आकर्षित करती है।  किंतु यह सत्य नहीं है और मैं यह पूरी दावे के साथ कह रहा हूं कोई किसी को आकर्षित नहीं करता जो कुछ भी होता है वह सब सेक्स ऊर्जा का खेल है इसे प्रमाणित करने के लिए मैं लड़का और लड़की दोनों के ऊपर अपना अनुभव लिख रहा हूं जो कुछ इस प्रकार हैं।


  • लड़का का लड़की के प्रति आकर्षण:- अब आप अपने आप में थोड़ी गहराई से सोचें कि जब आप किसी लड़की के प्रति आकर्षित होते हैं तब आपकी सेक्स ऊर्जा  लबालब भरी होती है वह निकलने के लिए अपनी जगह ढूंढता है और वह जगह हर एक लड़का को एक लड़की में ही दिखाई देता है। 

जब तक वह सेक्स ऊर्जा बाहर नहीं निकल जाता तब तक आप लड़की के प्रति आकर्षित होते हुए रहते हैं किंतु आप इस बात को कैसे मानेंगे कि हम जो बोल रहे हैं वह सत्य है। तो इसके लिए आपको एक प्रयोग करना पड़ेगा बड़ा साधारण सा प्रयोग है यदि आप शादीशुदा हैं तो यह प्रयोग आप अपने पत्नी के साथ कर सकते हैं करना कुछ इस प्रकार हैं जब आप किसी लड़की के प्रति ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं तो आप उसी समय अपनी पत्नी को गौर से देखें तो वह सब कुछ आपके साथ घटेगा जो एक गैर लड़की के प्रति हो रहा था। 

इसके बाद अपनी पत्नी के साथ सेक्स करें और जब सेक्स हो जाए तो आप फिर अपनी पत्नी को देखें तो उसमें आपको किसी प्रकार का आकर्षण नहीं दिखाई देगा अर्थात जब आप आकर्षित हो रहे थे तब वह सेक्स ऊर्जा आपके अपने पत्नी के प्रति आकर्षित होने के लिए बाध्य कर रही थी अब वह सेक्स ऊर्जा बाहर निकल चुकी है तो आपको आपकी पत्नी या फिर कोई लड़की आकर्षित नहीं कर पा रही है। 

फिर एक दिन बाद फिर से देखें तो आप फिर आकर्षित होने लगेंगे क्योंकि वह सेक्स ऊर्जा आपके अंदर फिर से तैयार हो चुकी हैं अब आप उसे फिर निकालेंगे और वह फिर उत्पन्न होगी यह कार्य  निरंतर चलती रहती है जिससे आप स्त्रियों के प्रति निरंतर आकर्षित होते रहते हैं अब तो आपको यकीन हो गया होगा कि यह सारा खेल सेक्स ऊर्जा  के कारण ही होता है दूसरा कोई कारण नहीं है। 


  • लड़की का लड़कों के प्रति आकर्षण:-   अब मैं लड़कियों को यह बताना चाहता हूं कि आपके साथ भी वही सब कुछ होता है जो एक लड़का के साथ होता है आप भी इस सच्चाई को महसूस कर सकते हैं इसके लिए आप वही कार्य करें जो मैंने ऊपर लड़कों के लिए कहा है आप अपने पति के साथ यह प्रयोग करके इस अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं। 


अब मैं आपको इस ऊर्जा  कि सही उपयोग करने का तरीका बता रहा हूं यदि आप इस ऊर्जा का इस्तेमाल किसी विशेष कार्य में डूब कर करते हैं तो निश्चित ही यह ऊर्जा आपको ऐसी मुकाम पर ले कर जाएगी जिसका आपने कल्पना भी नहीं किया होगा इस ऊर्जा की यही विशेषता है यदि आप इस ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं तो आपके साथ साथ आपके परिवार आपके समाज और आपका देश सबका भला होगा इस ऊर्जा को लगाने के लिए आप जिस कार्य में अधिक रुचि रखते हैं उस कार्य को बिना लाभ-हानि के करें और वह भी पूरे मन के साथ करें तो यह ऊर्जा आपको वह कामयाबी देगी जो आपने कभी सोची नहीं थी। 

Wednesday, August 14, 2019

August 14, 2019

We are proud to be Indian

We are proud to be Indian


1 >हवा जमीन छोड़ जाते है परआसमान नहीं।
हम जैसे नौजवान मां के गोद छोड़ जाते
हैं पर हिंदुस्तान नहीं।

2 >मेरा अभिमान है हिंदुस्तान।
मेरा अरमान है हिंदुस्तान।
मेरा जहान है हिंदुस्तान।
मेरा जान है हिंदुस्तान।
मेरा मान है हिंदुस्तान।
मेरा शान है हिंदुस्तान।
मेरा गौरव गान  है हिंदुस्तान।
मेरा जान है हिंदुस्तान।

3 >हमें उस नजर से भय नहीं जो हमें बुरी नजर से देखता हो
हमें तो उस नजर से भय  है जो हमारे बीच  रहकर हमें बुरी नजर से देखता हो।

4 >सारा जहां तुम्हारा केवल हिंदुस्तान है हमारा हम हैं इसके यह है हमारा हम ना मांगे और कुछ कहे यह सारा  जहां से हिंदुस्तान है हमारा।

5 >त्योहारों का त्योहार यह है महा त्योहार
हुंकार भरेंगे हम लाल किले पर देखेगा यह सारा संसार
ना ईद  मनाएंगे ना होली मनाएंगे  मनाएंगे आज़ादी का त्यौहार
यह है हमारा महा त्योहार।
आओ हम सब घुल मिल जाएं एक होकर जग को बतलाए यह है मेरा त्यौहार हर त्योहारों का एक ही त्यौहार यह है मेरा महा त्यौहार।

August 14, 2019

Life is the name of this

                                Life is the name of this


1 > तुम्हारी याद में जवानी गुजर गई।
      फिर भी हम तुम्हारा इंतजार करते रहे
      इसी इंतजार में हमारे जीवन की सारी कहानी गुजर गई

2 > हुस्न ने हमें ऐसे लूटा कि
      अब लुटाने को कुछ बचा नहीं।
      हुस्न के बाजार में ठोकर खाते फिर रहा हूं
     और तुम कहती हो कि हमें कोई खता नहीं।

1 > कल हमारा अच्छा होगा इसी चाह
में मैंने अपना आज भी खराब कर लिया।
तुम्हारी राह में आकर हमने तो
अपनी जीवन की सारी कहानी को ही खराब  कर लिया।

2 > हमें तो उस आगोश में जाना होगा
जहां तकिया भी होंगे बिछोना भी होंगे
बस हम होंगे और कब्र का कोना होगा

1 > शराब की बोतल का ढक्कन वही खोलना जानता है
      जिसने कभी पिया हो।
      अरे यारों शायरी तो वही लिखना जानता है
       जिसने कभी चोट खाया हो। 

2 > काँपता हुआ हॉट अपनी दर्द को बयां
      करने के लिए ना जाने उसे कितने दर्द से गुजर ना पड़ता है।
      एक शायर को शायरी लिखने के लिए ना जाने कितने पथरीले भूमि से गुजरना पड़ता है।

1> दो दिन की है जिंदगी जीना इसी का नाम है।
     मोहब्बत में जो धोखा दे दे  कमीना  उसी का नाम है।
     जो मोहब्बत के साथ चले जीना उसी का नाम है।

2 > मरना किसे कहते हैं कोई हमसे पूछे।
      बहुत पहले मर चुके थे हम
      जीना किसे कहते हैं कोई
      हमसे पूछे बहुत पहले जी चुके थे हम।

3 > शराब की सागर में अब मैं नहाता हूं
      फिर भी नशा चढ़ती नहीं।
      मैंने तुमसे ऐसे इश्क किया कि हजारों इश्क है
      मेरे पास पर तेरे इश्क की नशा अब उतरती नहीं।

4 > चांद यदि पृथ्वी से मिल जाता तो चांदनी चांद की
      समाप्त हो जाती इसलिए समय की धारा ने दोनों को अलग रखा।
      मैं यदि तुम से मिल जाता तो मोहब्बत समाप्त हो जाती
      इसलिए समय की धारा ने हम दोनों को अलग रखा।

1 >जिंदगी एक सजा है
     पता नहीं और
     कितनी जुर्म बचा है

Saturday, August 3, 2019

August 03, 2019

Sad the heart

                     Sad the heart

1 >जिंदगी एक सजा है
 पता नहीं और कितनी जुर्म बचा है

 2 >ताश की जोकर
अपनों की ठोकर हमेशा बाजी घुमा देती है
                                     
3>यह वह आवाज है जो दिल से निकलती है
दिल को ही छूती  है दिल में ही रहती हैं दिल को ही तोड़ देती है
                     

4<जब भी मैं अपना चेहरा आईने में देखता हूं
      ना जाने क्यों मुझे धुंधला सा  दिखाई देता हैं 
       बंदा समुन्दर  के किनारे खड़ा है                  
      फिर भी ना जाने क्यों प्यासा दिखाई देता है 

                 5>आपके आने से पहले यह खबर मैंने गैरों से पाई है
                     मेरी मोहब्बत को मजाक बना कर  यारो ने  खूब उड़ाई है
                                   
                           6 >इश्क उस पक्षी का नाम है
                                जो कभी अपना होता नहीं
                                इश्क तो सभी करते हैं
                                किंतु साथ कोई होता नहीं
                                   
                    7>घर से निकल पड़ा रास्ते में एक तरफ मकान था
                        तो एक तरफ कब्रस्तान था
                        पैरों तले एक हड्डी चली आई
                        उसकी यही जुबान था
                        ए मेरे दोस्त मैं भी कभी इंसान था।
                                   

                         8>परायो ने मुझे यह नहीं सिखाया
                              की अपना कौन है
                              किंतु अपनों ने मुझे
                             यह बता दिया कि पराया कौन है
                                   

                          9 >एक दूसरे को देखने में
                               आधी जवानी बीत गई
                               बाकी जो बचा जिंदगी
                               वह प्रेम कहानी लिखने में बीत गई
                                     

                 11 > हुस्न के बाजार में कभी मोहब्बत नहीं मिलते। 
                         जहां पैसों की बोल हो वहां कभी इज्जत नहीं मिलते। 
                         हम तो तुम्हारा उस राह पर इंतजार कर रहे थे। 
                         जहां कभी मोहब्बत नहीं मिलते।
                              


                     12  > चाहत की दौड़ में हम भी थे
                              किंतु दौड़ ना सके 
                              तुम तो हमसे बहुत आगे निकल गए
                              फिर भी हम तुम्हें छोड़ ना सके
                            

                                                                      जय वासुदेव श्री कृष्ण     



Monday, July 29, 2019

July 29, 2019

Political system and country's progress

          राजनीतिक व्यवस्था और देश की प्रगति


राजनीतिक व्यवस्था ही किसी देश की भाग्य विधाता होती है। जिस देश की राजनीति व्यवस्था जितनी साफ-सुथरा होगी, उस देश का भविष्य उतना ही साफ-सुथरा और उज्जवल होगा किंतु मुझे इस बात का बहुत दुख है कि हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था में ना जाने कितने ही अवरोध हैं इस अवरोध के कारण हमारे देश की जिस हिसाब से प्रगति होनी चाहिए उस हिसाब से प्रगति नहीं हो पा रही है।अतः मैं अपने अनुभव के आधार पर अपने देश की प्रगति में अवरोधों का व्याख्या करने की कोशिश कर रहा हूं जो कुछ इस प्रकार है।


1 चुनावी बुखार> 1 वर्ष में 12 महीने होते हैं यह 12 महीना ही हमारे देश को चुनावी बुखार लगा ही रहता है। हर महीने हमारे देश में कहीं ना कहीं कोई ना कोई चुनावी बुखार लगा ही रहता है। जिसके कारण हमारा नेता देश की चिंता छोड़ अपनी सत्ता की चिंता करने लगता है कि हमारा सत्ता कहीं चली ना जाए अपनी सत्ता को बचाने के लिए रोडमैप बनाने में ही अपना बहुमूल्य समय गुजार देता है।

अर्थात जिस पैसे का, जिस अनुभव का जिस विशेषज्ञ का देश की प्रगति में ना लगाकर अपनी सत्ता के प्रगति में लगा देता है। जो हमारे देश की प्रगति के लिए सबसे बड़ा अवरोध है।

अतः हमें इस चुनावी बुखार की कोई न कोई दवा तो चुननी ही पड़ेगी नहीं तो हमारे देश का स्वास्थ्य इस तरह के बुखार से हमेशा ही पीड़ित रहेंगे जो हमारे देश की प्रगति में सबसे बड़ा अवरोध है।


2 नेता या अभिनेता>  हमारे देश में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो नेता कम अभिनेता ज्यादा लगते हैं। क्योंकि चुनावी मौसम में जब हमारे नेता को चुनावी बुखार लगते हैं तो उनमें से कुछ नेता अपनी नेता की वास्तविक गुण को छोड़ अभिनय करने लग जाते हैं। जैसे जनता के सामने बड़ी-बड़ी डींगे हाँकना झूठे वादे करना जो काम असंभव हैं उस काम को संभव बनाने का वादा करना इत्यादि।

यह सब एक प्रकार का अभिनय ही तो है और मजे की बात तो यह है कि जनता के सामने किस प्रकार का अभिनय किया जाए कि जनता को वास्तविक लगे। जिसके लिए वह बड़े-बड़े विशेषज्ञों को रखते हैं लाखों करोड़ों रुपया खर्च करते हैं केवल अभिनय करने के लिए देश की सेवा करने के लिए नहीं।

वह यह भी भलीभांति जानता है कि इस प्रकार के अभिनय हमारे देश के लिए कितना हानिकारक है फिर भी वह करते हैं केवल सत्ता की भूख मिटाने के लिए। सत्ता की भूख ऐसी भूख है जिससे कभी पेट भरता ही नहीं है। इस अभिनय के कारण ही सरकार  में गलत लोग चले आते हैं जो हमारे देश की दशा और दिशा ही बदल देते हैं।

अतः इन नेताओं को इस अभिनय के बुखार से कैसे मुक्ति दिलाया जाए जो हमारे देश की प्रगति के अवरोधों में से दूसरा अवरोध है।



3 धर्म > हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्म है हर एक धर्म की अपनी-अपनी मान्यता इन विभिन्न मान्यताओं के कारण आपस में टकराव होती रहती हैं। इस टकराव में धर्म के ठेकेदार की अहम भूमिका होती है।और यह ठेकेदार यह भली-भांति जानता है कि हमारे देश में हजारों नदी है किंतु सब नदी को अंतिम में सागर में ही जाना है। ठीक उसी प्रकार हर धर्म की परवाह एक ही सुप्रीम पावर की ओर जाती है।

फिर भी यह लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए धर्म की परिभाषा को तोड़ती है, मरोड़ती है।  इस प्रकार के धार्मिक ठेकेदार यदि राजनीतिक में आ जाए तो राजनीति की परिभाषा ही बदल जाती है।  फिर कानून भी धर्म के हिसाब से बनते हैं जिससे समाज के एक हिस्से में उजाला होता है तो दूसरे हिस्से में अंधेरा जिसके कारण देश का संपूर्ण प्रगति नहीं हो पाता।

धार्मिक बुखार एक ऐसी प्रचंड बुखार है कि जिसका इलाज मुझे असंभव सा लगता है यह हमारे देश की प्रगति के अवरोधों में से एक ऐसाअवरोध है जिसकी ऊंचाई हिमालय से भी 4 गुना अधिक है इसलिए मुझे इसका इलाज असंभव सा लगता है।


4 सत्ता या व्यवसाय > आज की दौर में हर एक व्यक्ति नेता बनने की होड़ में खड़ा है। वह इसलिए कि यदि एक बार हमें सत्ता मिल जाए तो मेरे साथ साथ मेरे परिवार का भी उद्धार हो जाएगा यही सोचकर वह चुनाव में लाखों करोड़ों रुपया खर्च कर देते हैं। यदि वह जीत जाए तो शुद्ध सहित अपने सत्ता का दुरुपयोग कर पैसा निकाल लेते हैं।

अर्थात इस तरह के लोगों का मानना है कि सत्ता में ₹10 लगाओ और ₹100 कमाओ, आम जनता उसे देश की सेवा करने के लिए चुनता  है और व्यक्ति सत्ता को व्यवसाय बना लेता है। इस प्रकार  हमारे कुछ नेताओं की मनोदशा ने हमारे देश को बहुत पीछे धकेल दिया है

यदि कुछ नेता  अच्छा भी हैं तो उनको प्रगति करने के लिए लोहे के चने चबाने के समान प्रतीत होता है। वह भी घुटना टेक देता है की इतनी बड़ी खाई को कैसे भरा जाए जिसे भरने में और न जाने कितने समय लगेंगे

यह मेरा मानना है कि जब तक इस देश मैं इस तरह की भावना रहेंगी तब तक हमारी प्रगति धिमी रफ़्तार से ही होगी।

                                                                    जय वासुदेव श्री कृष्ण

Sunday, July 21, 2019

July 21, 2019

Sex energy and its leela

                         सेक्स ऊर्जा और उसकी लीला


सेक्स ऊर्जा मनुष्य की सभी ऊर्जा में से एक  महा ऊर्जा है जो मनुष्य की जीवन की सारी लीलाएं इसी ऊर्जा पर निर्भर करती है।  मनुष्य जो कुछ भी सोचता है या बोलता है या फिर करता है या उनकी सभी क्रिएटिविटी  इन्हीं ऊर्जा से संचालित होती है।

कहने को तो यह सेक्स उर्जा है किंतु जब आप इसका मंथन कीजिएगा तो आप पाएंगे कि यही वह ऊर्जा है जो पूरी ब्रह्मांड को नियमित रूप से संचालित करती रहती है यह ऊर्जा इस पृथ्वी के हर एक कण में हर एक जीव जंतु में पाया जाता है।

इस ऊर्जा की परवाह दो तरफ होती है एक भीतर की ओर दूसरी बाहर की ओर भीतर की ओर ऊर्जा हमें क्रिएटिविटी करने को प्रेरित करती है और जो ऊर्जा बाहर की ओर परवाह  होती है हुआ वह हमारे जीवन की तमाम क्रियाकलापों को निर्धारित करती है अर्थात हम जो कुछ भी करते हैं या जो कुछ करने वाले होते हैं हमें यही भीतर से बाहर की ओर धक्का देती है।

इनकी  क्रियाओं को या इनकी  लीलाओं को संक्षिप्त रुप  से जाने की
कोशिश करते हैं इन्हें समझने के लिए हम इस ऊर्जा को दो भागों में बांटते हैं एक बाहर की ओर परवाह दूसरी भीतर की ओर परवाह

1 बाहर की और प्रवाह >  यह ऊर्जा मनुष्य की जीवन और मृत्यु और उनकी समस्त लीलाओं को निर्धारित करती है जब यह  बाहर की ओर परवाह होती है तो मनुष्य अपने जीवन की आम क्रियाओं को करते हैं उनमें कोई विशेष बात या विशेष क्रिएटिविटी नहीं होती है वह बस कमाना,खाना, पीना, घुरना , तेरा-मेरा, अपना-पराया, पाप -पुणे इन सभी कार्यों में उलझा रहता है।

अर्थात वह  एक साधारण मनुष्य के भांति जीवन को जीता है जिसका जीवन का कोई विशेष मकसद नहीं होता है। वह यूंही राही की तरह राह पर चलता ही रहता है। उसकी मंजिल कहां है उसे कहां तक जाना है यह सब बातों से अनजान रहता है।

हमारे जीवन की सारी खेल इन्हीं ऊर्जा  से प्रभावित होती रहती है।  इन ऊर्जा को पचा पाना बड़ा ही मुश्किल कार्य है। इन ऊर्जा को जिसने पचाया वह महामानव बन गया अर्थात अपनी उर्जा को सही दिशा देने की कला जिसमें आ गई वह परमात्मा हो गया अब ना उसमे  और ना ही परमात्मा में कोई अंतर है

क्योंकि यह  बड़ा ही  भयानक और विकराल होता है अर्थात इसका तेज सुर्य  से भी अधिक तेज होता  है जिस कारण हम इस तेज  को नहीं संभाल पाते हैं और इसे निकालने के कई बहाने ढूंढते हैं

जैसे ईर्ष्या , क्रोध, प्रेम, नफरत इन सभी भावनाओं से ओतप्रोत होते रहते हैं।  क्योंकि  यह ऊर्जा हमारे नियंत्रण में नहीं होती और यह हमसे जो कुछ भी करवाना चाहती है वह बड़ा सरलता पूर्वक करवा लेती है अन्यथा हमारे जीवन में हमें क्या पाना है क्या खोना है ना कुछ पाना है ना कुछ खोना है फिर भी जीवन में हजारों झंझट पाल कर रखे हुए हैं।

2 भीतर की ओर परवाह>  सेक्स ऊर्जा की परवाह यदि भीतर की ओर हो  रहा है तो फिर वह मनुष्य कोई आम मनुष्य नहीं है। उस मनुष्य का जीवन इस कदर चमक उठता है जैसे आकाश में सितारे चमकते रहते हैं उसी तरह वह मनुष्य जीवन रूपी ब्रहमांड में हमेशा चमकता ही रहता है।

यह मनुष्य हजारों में एक ,लाखों में एक ,करोड़ों में एक ही होते हैं यह वह मनुष्य है जिसने अपनी उस महान तेज को सही दिशा देने में सफल हो गया है।

इसमें कुछ अध्यात्मिक गुरु जी हैं ,कुछ अध्यात्मिक महापुरुष हैं ,कुछ वैज्ञानिक हैं ,कुछ लेखक हैं ,कुछ समाज सुधारक भी हैं। इन सभी की वजह से तो हमारा जीवन आज रंगीन है यदि यह लोग ना होते  तो हमारे जीवन के मुख मंडल पर  हमेशा उदासी की बादल छाया ही रहता।

 यह वही मनुष्य है जिसने अपनी उर्जा को अपने नियंत्रण में किया है। और अपने नियंत्रण में करने के कारण ही यह मनुष्य आज इस जीवन रूपी ब्रह्मांड में सितारों की भांति चमकता हुआ प्रतीत होता है जिसे हर एक बिछड़ा हुआ व्यक्ति उसके जैसा बनने की चेष्टा करता है।

किंतु यह तभी मुमकिन है जब हम अपनी सेक्स ऊर्जा को भीतर की ओर प्रभाव करना सीख जाए या फिर यूं कह लें कि हम अपनी ऊर्जा को सही दिशा देना सीख जाए।

अर्थात अपने तेज को उस कार्य में लगाएं जिस कार्य से इस संपूर्ण ब्रहमांड का हित हो ना कि अहित हो ब्रह्मांड का हित में ही हमारा हित है। यह परिभाषा तो  महामानव सरलता पूर्वक समझ सकते हैं।

किंतु आम मनुष्य के लिए या ज्ञान केवल एक रास्ते पर पड़े पत्थर के टुकड़ों के समान है जिसे व अपने पैरों से ठोकर मारते रहते हैं। जिसके कारण वह भी अपने जीवन की भवसागर में ठोकर खाते रहते हैं फिर भी उसे यह समझ में नहीं आता कि जीवन है क्या।

मैं इस ऊर्जा के बारे में बस दो शब्द आपको बताने की कोशिश की है इस ऊर्जा की व्याख्या करने में तो हमारा हजारों जीवन भी कम पड़ जाए।
                                                  जय वासुदेव श्री कृष्ण 

Tuesday, July 16, 2019

July 16, 2019

Disability and torture of society

                    अपंगता और समाज की प्रताड़ना



अपंग होना यह उसके कर्मों का खेल है किंतु जब मनुष्य को  कोई समाज प्रताड़ित करता है तो उसका परिणाम क्या होता है कुछ नहीं समाज का तो कुछ बिगड़ता नहीं किंतु उस मनुष्य का जीवन हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है या फिर वह मनुस्य  उस  रास्ते पर चल पड़ता है जिसका वह कभी कल्पना भी नहीं किया था। और यह रास्ता उसके जीवन को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाता है जो पूरी  तरह  समाज का ही देन है


 हमारे समाज में ऐसे अनेक बुराइयां फैली हुई है जिसको एक एक कर कर उखाड़ना  हमारे बस की बात नहीं है फिर भी हमारे नजर में जो आया है मैं उसकी व्याख्या कर रहा हूं अर्थात मैं यहां पर अपंगता और समाज की प्रताड़ना के ऊपर  हमारा लेख है।


उस लड़के का नाम समीर था जो बचपन से ही गंभीर स्वभाव का था।
परमात्मा ने उसे एक गहरी चोट दी थी। अर्थात वह शारीरिक रूप से अपंग  था जिसके कारण वह हमेशा मायूस रहता था।

 उसके जीवन को समझने के लिए मैंने उसके जीवन को तीन भागों में बांटा बचपना जवानी और अधेड़ अवस्था आइए देखते हैं कि उसके  जीवन में और कितनी ठोकर खाना बाकी है।



  • बचपना :- बचपन में आपने इस अवस्था का कारण वह हमेशा मायूस रहा करता था।  जब भी वह अपने शाखा या मित्रों के साथ खेलता था तो उसके मित्रों ने उसे चिढ़ाने के अलावा और कुछ भी नहीं दिया जिसके कारण वह दुखी और निराश हो जाता था।  निराश होकर वह किसी एकांत जगह पर बैठकर परमात्मा से यही दुआ करता था यही प्रार्थना करता था कि है परमात्मा हमने ऐसी कौन सी भूल की है जो हमें इतनी बड़ी सजा मिला हमारा बचपन यारों का मनोरंजन बनकर रह गया मैं मनोरंजन करने गया था। किंतु मैं ही मनोरंजन का निवाला बन गया है परमात्मा यदि हमसे कोई भूल हुई हो तो हमें क्षमा करें।


यह सोचकर वह आगे की ओर निकल पड़ा और हंसी-खुशी जीवन जीने की चाहत में एक कदम और आगे चल पड़ा।  उसने अपनी जिंदगी में पढ़ाई लिखाई बड़ी मुश्किल स्थिति में की ताकि उसका जीवन सुधर जाए। किंतु उसकी नियति को कुछ और ही मंजूर था जिसका वह कभी कल्पना भी नहीं किया था।
                   

  • जवानी:-अब वह अपने जीवन की जवानी की दरवाजे पर पहला कदम रखा जिस तरह सभी नौजवान अपने विपरीत लिंग को देखकर आकर्षित होता है उसी तरह वह भी आकर्षित हुआ किंतु उसकी अपंगता के कारण हर एक विपरीत लिंग वाली उसका इस कदर मजाक उड़ाया की उसका सारा जीवन एक मजाक बनकर रह गया।


उसने भी अपने जीवन को रंग बिरंगे रंगों से रंगा था किंतु समय की मार ने उसकी हर एक रंग को बैरंग कर दिया अब वह मायूस और लाचार होकर एकांत प्रिय रहने लगा।

फिर भी वह जीना चाहता था पर हमारा समाज उसे जीने नहीं देता था ना उसका  कोई अपना कदर करता था और ना कोई  पराया कदर करता था इस ठोकर से वह इतना टूट गया कि उसमें उठने की क्षमता ना के बराबर हो गई फिर भी वह अपने दम पर ऊपर उठने की हर संभव प्रयास किया।


किंतु दूसरी ओर हर मनुष्य की शरीर का अपना कुछ एक है मांग होता है जो समय पर ना मिलने पर मनुष्य की दिलो दिमाग पर बुरा असर पड़ता है वह मांग उसके जीवन में भी आया वह मांग कामवासना था अर्थात वह भी स्त्रियों की साथ संभोग करने की चाहत रखने लगा पर उसे कोई भी स्त्री पत्ता नहीं देता था। अंत में वह दो चार पैसा कमाकर वेश्यालय पहुंच गया जहां पर वह स्त्रियों से अपना संबंध बनाया किंतु फिर भी वह समाज से भयभीत रहता था। इस समाज के भय के कारण वह अपनी कामवासना की जिज्ञासा को या चाहत को पूरा नहीं कर पाया और अंत में उसकी विवाह हो गई।


  • अधेड़ :- शादी होने के उपरांत वह अपने पत्नी से बहुत अधिक प्रेम करता था क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि अब हमारा यही सब कुछ है और मैं उसके ही साथ रहकर आगे हमें जो करने की इच्छा है या हमें जो परमात्मा ने जिस उद्देश्य के लिए भेजा है मैं उस कार्य को पूरा कर पाऊंगा किंतु उनका यह दुर्भाग्य उनका साथ छोड़ने को तैयार ही नहीं पत्नी भी मिली तो ऐसी मिली कि वह पूरी तरह एक चरित्रहीन औरत थी जिसके कारण उसके जीवन में एक ऐसी घटना घटी जो उसका सारा जीवन हिला कर रख दिया मानव वह एकांत में इस कदर रो पड़ा की  समुंद्र की गहराई भी उसकी आंखों की आंसू आगे  कम पड़ गया।


अर्थात उसे एचआईवी की बीमारी पकड़ ली जिससे उसका जीवन 2-4 साल के उपरांत समाप्त हो गया। अपंगता ने और समाज की प्रताड़ना ने उसका जीवन ही समाप्त कर दिया हमारे समाज में इस तरह कितनी बुराई फैली हुई है जिससे आए दिन भले इंसान का जीवन बलि के बकरे के सामान हो जाता है।

                                                जय वासुदेव श्री कृष्ण

Wednesday, May 29, 2019

May 29, 2019

Marriage Life

                                         शादीशुदा ज़िंदगी


शादीशुदा जिंदगी के कई मोड़ हैं जिसमें कभी ऊपर कभी नीचे हिचकोले खाते रहते हैं मैं इसी जीवन पर कुछ अपनी अनुभव रख रहा हूं मेरा या अनुभव है कि इस जीवन में दो रोल एक रोजगार दूसरा बेरोजगार का बड़ा महत्व होता है जो जीवन में चार चांद लगाता है या फिर भी चांद को ही उखाड़ कर फेंक देता है सारा खेल में रोजगार और बेरोजगारी का ही है अब आगे देखते हैं कि रोजगार का क्या रोल है और बेरोजगार का क्या रोल ह

रोजगार का होना :- यदि शादी करने से पूर्व वह  रोजगार है तो उसका शादीशुदा जीवन बड़ा ही आनंदमय व्यतीत होता है जिसका कोई हिसाब नहीं है वह अपने जीवन का वह सारे आनंद के मजे लेते हैं जो एक शादीशुदा जीवन के लिए बना हुआ रोजगार हो ना मानो शादी के लिए लॉटरी लग जाने के बराबर है अब बात यह होती है कि किसका रोजगार होना सबसे ज्यादा सुख दायक है पुरुष का या स्त्री का क्योंकि हम आधुनिक जीवन में जी रहे हैं यहां स्त्रियों के पास भी रोजगार होता है पुरुषों के पास भी रोजगार होता कई मामलों में दोनों रोजगार प्राप्त किए होते हैं यदि पुरुष के पास रोजगार हो तो उसका शादीशुदा जीवन कैसा होगा यदि स्त्री के पास रोजगार हो तो उसका शादीशुदा जीवन कैसा होगा इसे जानने का कोशिश करेंगे

पुरुष के पास रोजगार होना:- यदि पुरुष के पास रोजगार होता है तो उसका जीवन या फिर उसके साथ जिस स्त्री का जीवन जुड़ा है दोनों का जीवन बेहतर होता है क्योंकि समाज ने स्त्री को सहनशीलता अधिक प्रदान की है और पुरुष स्त्री की तुलना में सहनशीलता कम रखता है यदि पुरुष के पास रोजगार है तो निश्चित ही उसका जीवन आनंदमय  होगा जहां स्त्री उसके अधीन होते हैं और वह सारी इच्छा अपने पति के द्वारा प्राप्त करते हैं उसके अधीन होने के कारण वह आपस में तालमेल बिठाकर चलते हैं क्योंकि वह जानता है कि यदि हम विरोध करेंगे तो हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है इसलिए वह अपना सारा जीवन पुरुष के अधीन ही जीता है और इसमें देखा जाए तो दोनों का जीवन जो लगभग सुखी  पूर्वक व्यतीत होता है फर्क बस इतना ही होता है कि उस स्त्री की सारी इच्छाएं उस पुरुष की इच्छाओं पर निर्भर होता है वह अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी नहीं कर सकता उसे  अपनी इच्छा पूरी करने के लिए पति  से सलाह लेनी पड़ती है या फिर कह लो कि परमिशन लेनी पड़ती है

स्त्री के पास रोजगार का होना :-यदि स्त्री के पास रोजगार होता है तो शादीशुदा जीवन में थोड़ा मुश्किल  होता है क्योंकि पुरुष स्त्री की अधीनता को स्वीकार नहीं कर पाता इसलिए नहीं कर पाता कि हमारा समाज उसे उतना अधिक सहनशीलता नहीं बनाया है जितना कि एक स्त्री को सहनशीलता बनाया जिसके कारण पुरुष हमेशा स्त्रियों के ऊपर हावी रहता है यदि वह रोजगार हैं तो वह पूरी तरह नियंत्रण अपनी पत्नी के ऊपर रखता  है यदि पत्नी रोजगार है तो पुरुष उसका अधीनता को स्वीकार नहीं कर पाता यहां पर स्त्री  उसके ऊपर हावी हो जाती है जिसके कारण उसका शादीशुदा जीवन मुश्किल हो जाता है क्योंकि स्त्रियां कहती है कि मैं कमाता हूं मैं तुम्हें खिलाता हूं तो फिर मैं तुम्हारा बात क्यों मानूं तुम हमारी बात मानो तुम हमारे हिसाब से चलो जो या संभव नहीं है या फिर यूं कह लें कि समाज ने उसे इस स्थिति से जूझने की कला नहीं सिखाई है जिसके कारण उसका शादीशुदा जीवन मुश्किल में पड़ जाता

स्त्री और पुरुष दोनों के पास रोजगार का होना :-यदि दोनों के पास रोजगार हो तो शादीशुदा जीवन बड़ा ही दिलचस्प हो बन जाता है या तो यह जीवन खुशहाली से भरा होता है या फिर पूरा ही गमगीन हो जाता है क्योंकि यहां दोनों में से कोई भी किसी के अधीन नहीं है यहां पर यदि दोनों का जीवन आगे बढ़ता है तो केवल आपसी तालमेल और आपसी प्रेम के बदौलत यदि कोई भी एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करता है तो उसका परिणाम बड़ा ही भयानक होता है जो की स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि डाइवोर्स का स्थिति आ जाता है क्योंकि दोनों ही आत्मनिर्भर हैं स्त्री भी और पुरुष भी यदि कोई एक दूसरे  को छोड़ दें तो वह किसी और के साथ होकर अपना जीवन आनंद पूर्वक व्यतीत कर सकता है

अब ऐसी स्थिति में यदि किसी का ज्यादा नुकसान होता है तो वह बच्चों को होता है उनका परवरिश पर इनका बुरा असर पड़ता है या फिर यूं कह लें की दो हाथी की लड़ाई में केले गाछ का  नुकसान होता है अब बात इतनी बिगड़ जाती है कि यदि पति हाईकोर्ट पहुंचता है तो पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती है तो यह निश्चित है कि दोनों में अब डायवोर्स होगा ही होगा यदि  डायवोर्स हो भी गया तो इसमें ना पति को नुकसान है ना पत्नी को सबसे ज्यादा नुकसान है तो फिर उस बच्चे की जो दोनों के अधीन है अब न्यायालय यह निर्णय करता है कि बच्चा यदि बच्चा है तो वह 18 वर्ष तक की मां के पास रहेगी उसके बाद वह अपनी इच्छा अनुसार पिता के पास जाना चाहता है तो वह जा सकता

अब बच्चे के लिए दोनों में ताना -घिची होती है इधर  मां अपने बच्चे को इस कदर पालती है या फिर इतना  जड़ी बूटी खिलाती है कि बच्चा पिता का नाम ही भूल जाए उधर पिता बच्चे को प्राप्त करने के लिए एड़ी और चोटी  एक कर देता है और  स्थिति कुछ इस तरह हो जाती है की  दोनों अलग होकर भी दोनों सुखी पूर्वक नहीं रह पाता सारा जीवन कोर्ट वकील जज इन तीनों के आगे  घूरते हुए व्यतीत होता है

रोजगार का होना या फिर बेरोजगार होना या दोनों ही हमारे जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती है जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग है यह केवल  हमारे समाज या भारत का  ही बात नहीं है लगभग ऐसे कई देश है जहां पुरुष और स्त्री रोजगार के लिए जूझते रहते हैं क्योंकि किसी महल में यदि आग लग जाए तो उसे 10-20 टैंकर पानी से बुझाया जा सकता है किंतु यदि पेट में आग लगी हो तो उसे बुझाना बड़ा ही मुश्किल है यह पेट की वह आग  जिसमें उसका सारा जीवन जलके राख हो जाता है यदि मनुष्य रोजगार प्राप्त कर लिया हो तो उसका सारा जीवन हंसी खुशी प्रतीत होता है यदि वह बेरोजगार है तो उसका जीवन मानव अभिशाप से कम नहीं है

                                       जय वासुदेव श्री कृष्ण

About

मेरा ईस्वर मैं स्वंय हूँ इसलिए मुझे यह दुनिया कुछ अलग ही दिखाई देती हैं। यदि आप भी मेरी तरह इस दुनिया को देखना चाह्ते हैं तो मेरे साथ दो क़दम चलिए तो आपको इस दुनिया की कुछ अलग ही तस्वीर दिखाई देंगी

Followers

Blog Archive

Email subscriptions

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Recent Posts